DELHI: केजरीवाल देंगे इस्तीफा? दिल्ली के राजनीतिक संकट से जुड़ी हर जानकारी समझें – दो संकेत और एक बड़ा दावा
DELHI: केंद्र में ना तो आईएनडीआई गठबंधन सरकार बनी और ना ही अरविंद केजरीवाल को अदालत से राहत मिली। दोनों ओर से निराशा मिलने के बाद, अब केजरीवाल के सामने दिल्ली में अपनी सरकार बचाने की चुनौती है। इस बीच, दिल्ली की राजनीति में संकट के बादल मंडराने लगे हैं। एक तरफ जहां उपराज्यपाल (एलजी) पहले ही कह चुके हैं कि वह जेल से सरकार नहीं चलने देंगे, वहीं केजरीवाल को भी अदालत से जमानत नहीं मिली। ऐसे में यह निश्चित नहीं है कि वह कब जेल से बाहर आएंगे।
इस बीच, दिल्ली में एक नया राजनीतिक भूचाल आ सकता है, जिसके बारे में दो संकेत और एक बड़ा दावा सामने आ रहे हैं। हम जिन दो संकेतों की बात कर रहे हैं उनमें पहला संकेत है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री को जमानत नहीं मिली।
दूसरा संकेत है कि गुरुवार को पहली बार सीएम निवास पर सुनीता केजरीवाल की अध्यक्षता में बैठक हुई। यह बैठक बीजेपी के उस दावे को मजबूती देती है कि केजरीवाल इस्तीफा देकर अपनी पत्नी सुनीता को अपना उत्तराधिकारी बना सकते हैं।
वर्तमान स्थिति क्या है?
गौर करने वाली बात है कि उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने स्पष्ट कर दिया है कि वह जेल से दिल्ली सरकार नहीं चलने देंगे। उन्होंने यह भी संकेत दिया है कि यदि दिल्ली में संवैधानिक संकट जैसी स्थिति उत्पन्न होती है तो वह सख्त कार्रवाई करेंगे। इससे आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार के भविष्य को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं।
ईडी ने 21 मार्च को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया था। गिरफ्तारी के बाद भी उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया। आम आदमी पार्टी ने घोषणा की है कि केजरीवाल जेल से ही सरकार चलाएंगे। वहीं, बीजेपी उनके इस्तीफे की मांग कर रही है।
बीजेपी का कहना है कि दिल्ली का विकास हो रहा है बाधित
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा और अन्य नेताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री के जेल में होने के कारण दिल्ली का विकास बाधित हो रहा है। मेयर का चुनाव नहीं हो पाया। दिल्लीवासियों के हित में, उन्हें तुरंत इस्तीफा देना चाहिए और किसी अन्य विधायक को मुख्यमंत्री बनाना चाहिए।
दिल्ली के पूर्व मुख्य सचिव का क्या कहना है
दिल्ली के पूर्व मुख्य सचिव ओमेश सहगल का मानना है कि मुख्यमंत्री के जेल में होने से सामान्य प्रशासनिक काम प्रभावित नहीं हो रहे हैं, लेकिन बड़े फैसले नहीं लिए जा सकते।
अगर वह लंबे समय तक जेल में रहते हैं, तो निश्चित रूप से दिल्ली का विकास और अन्य कार्य बाधित होंगे। महत्वपूर्ण फाइलें मुख्यमंत्री की सिफारिश पर उपराज्यपाल द्वारा पास की जाती हैं।
राजनीतिक विशेषज्ञों की राय क्या है?
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि केजरीवाल ने उम्मीद की होगी कि अगर केंद्र में आईएनडीआई गठबंधन सरकार बनती है, तो उन्हें राहत मिलेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अदालत ने भी उन्हें अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया है। इससे आने वाले दिनों में उनकी सरकार की मुश्किलें बढ़ेंगी।
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सरकार बचाने के लिए उन्हें किसी और को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपनी होगी
AAP सरकार को बचाने के लिए केजरीवाल को इस्तीफा देकर किसी और को मुख्यमंत्री बनाना होगा। उनके पास दो विकल्प हैं: या तो वे अपनी पत्नी को अपना उत्तराधिकारी बनाएंगे या किसी विधायक को मुख्यमंत्री बनाएंगे।
बीजेपी का आरोप है कि केजरीवाल अपनी पत्नी सुनीता केजरीवाल को अपना उत्तराधिकारी बनाना चाहते हैं। इसके लिए वे पार्टी में सहमति बनाने की कोशिश कर रहे हैं और इसको लेकर पार्टी में असंतोष है।
पति की गैरमौजूदगी में सुनीता आईं आगे
सुनीता केजरीवाल अपने पति के जेल जाने के बाद से राजनीति में सक्रिय हो गई हैं। उनकी राजनीतिक पारी 31 मार्च को रामलीला मैदान में आयोजित आईएनडीआईए रैली से शुरू हुई।
पति की गैरमौजूदगी में उन्होंने लोकसभा चुनाव अभियान भी संभाला। गुरुवार को मुख्यमंत्री की गैरमौजूदगी में उनके निवास पर विधायकों की बैठक हुई। ऐसे में बीजेपी का आरोप मजबूत होता है।
दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष ने लगाए ये आरोप
दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा का कहना है कि भाई-भतीजावाद और भ्रष्टाचार का विरोध करके सत्ता में आए केजरीवाल का सच जनता के सामने आ गया है। वे भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में हैं।
अपनी सुरक्षा के लिए वे उन्हीं लोगों की शरण में गए हैं, जो उन्हें भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद का आरोप लगाकर विरोध करते थे। अब वे न तो भ्रष्टाचार से बचते हैं और न ही भाई-भतीजावाद से।
यही कारण है कि भ्रष्टाचार के आरोप में जेल जाने के बाद वे अपनी पत्नी को मुख्यमंत्री बनाने की कोशिश कर रहे हैं। दिल्ली के हित में उन्हें अपने विधायकों में से किसी एक को मुख्यमंत्री बनाना चाहिए।